patni ke kanuni adhikar दोस्तों भारत एक लोकतांत्रिक देश है और भारत में महिलाओं को भी काफी ज्यादा अधिकार दिए गए हैं महिलाये पुरुषो के सामान कोई भी काम कर सकती है और भारतीय संविधान में महिलाओं को वोट से लेकर राजनीति तक सारे अधिकार दिए हैं लेकिन आज के एजुकेशन के जमाने में भी बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं जिनको अपने अधिकारों के बारे में भी नहीं पता रहता और जिनके कारण ज्यादातर मामलों में हिंसा यौन उत्पीड़न छेड़छाड़ जैसे कई संगीन अपराध का शिकार होते रहते हैं अगर आप जानना चाहते हैं कि महिलाओं के कौन कौन से अधिकार संविधान ने दिए हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक जरूर पढ़ें क्योंकि हम हमारे इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि महिला अधिकार इन हिंदी में
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट २००५
- अविवाहित या शादीशुदा महिलाएं अपने साथ हो रहे हैं घरेलू हिंसा के अंतर्गत घर वालों पर कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं तथा बाह जिस घर में रह रही है उस घर में एक अधिकार पा कर भी रह सकती हैं
- अगर किसी महिला से पूछो बगैर और उसकी अनुमति के बगैर उसके बैंक अकाउंट या शेयर का उपयोग किया जा रहा है तो बाह कानून की मदद ले सकती है
- दोस्तों शादीशुदा होने के बाद अपने बच्चे की कस्टडी और मानसिक शारीरिक प्रताड़ना का भी मुआवजा लेने का अधिकार है
- अगर कोई महिला घरेलू अत्याचार का शिकार हो रही है तो वह बगैर वकील के सीधे न्यायालय में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है और बाह किसी भी ऑफिसर और सर्विस प्रोवाइडर का साथ लेकर भी अपने लिए न्याय की लड़ाई लड़ सकती है और अगर वह एजुकेटिव है तो वह अपना पक्ष को खुद रख सकती है उसको किसी भी प्रकार की वकील करने की कोई आवश्यकता नहीं है
- अगर किसी महिला को दहेज के लिए परेशान किया जा रहा है तो वहां उसके लिए कानून की मदद ले सकती है और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसको अजीवन तक की सजा हो सकती है
- अधिनियम 1995 के तहत हिंदू विवाह में महिला कुछ परिस्थितियों में अपने पति से तलाक ले सकती है अगर पहली पत्नी होने के बावजूद पति द्वारा दूसरी पत्नी लाई जाती है अगर पति 7 साल तक लापता होने पर भी तलाक लिया जा सकता है संबंधों में संतुष्टि ना होने के कारण भी तलाक लिया जा सकता है और मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने पर भी तलाक लिया जा सकता है पति को गंभीर लाइलाज बीमारी होने पर और धर्म परिवर्तन करने पर तलाक लिया जा सकता है
- अगर कोई महिला अपने पति से तलाक ले लेती है तो उसे बच्चों की कस्टडी पाने का अधिकार महिला को ही दिया जाता है लेकिन इस बात का फैसला साक्ष्यों के आधार पर अदालत में ही किया जाता है
- अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है या उससे तलाक ले लेती है तो वह महिला अपने बच्चों का संरक्षण बनने का दावा कर सकती है
- भारतीय कानून के अनुसार गर्भपात कराना एक कानूनी अपराध माना गया है और अगर कोई महिला के स्वास्थ्य को खतरा को देखते हुए गर्भपात कराया जाता है तो ऐसे गर्भपात को वैध माना जाएगा अगर महिला को गर्भपात के लिए जबरदस्ती की जाती है तो वह अपने पति पर केस कर सकती है वह कानून की मदद भी ले सकती
- अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ लिव इन रिलेशन में रहती है तो उसको वाह दर्जा प्राप्त है जो किसी शादीशुदा महिला को होता है
- अगर कोई महिला लिव इन रिलेशन में है और उसका पार्टनर उसे शाररिक और मानसिक रूप से परेशान करता है तो वह ऐसे मामले में कानून की सहायता ले सकती है
- अगर कोई महिला लिव इन रिलेशन में है और उसके द्वारा किसी बच्चे को जन्म देती है तो वह संतान वेध मानी जाएगी और उसे संपत्ति में पूरा अधिकार रहेगा
- अगर किसी व्यक्ति की पहली पत्नी है और उस पत्नी के होते हुए भी वह दूसरी पत्नी से संबंध रखता है तो ऐसे में पहली पत्नी उस पर केस कर सकती है और तलाक ले सकती है और इसके अलावा उसे गुजारा भत्ता भी देना पड़ेगा
- हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के अनुसार अगर कोई पत्नी अपने पति से तलाक ले लेती है तो पति को बच्चे की सुरक्षा भरण पोषण और शिक्षा के लिए खर्चा भी देना पड़ेगा
- अगर कोई महिला विवाहित है और उसके बच्चे नहीं है तो वह पति की मर्जी के बाद बच्चे को गोद ले सकती है
- अगर कोई महिला शादीशुदा है और उसका पत्नी पति से तलाक हो गया है और उसके बच्चे अपने पास रहते हैं तो वाह स्कूल में एडमिशन फॉर्म में पिता की जगह अब मां का नाम भी भर सकते हैं पिता का नाम होना जरूरी नहीं है
- विधवा महिलाओं को पति की संपत्ति में हक पाने का पूरा अधिकार है अगर उसके पति नहीं है तो वह अपने ससुर से या ससुराल वालों से संपत्ति में बटवारा ले सकती है और इसके अलावा बाह ससुराल वालों से गुजारा भत्ता भी ले सकती
- मैरिज एक्ट 1954 में हिंदू महिलाओं को संपत्ति में बंटवारे की मांग नहीं कर सकती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है अगर कोई महिला अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा लेना चाहती है तो इससे उसे संपत्ति से पूरा हिस्सा दिया जाएगा और यह कानून अब सभी राज्यों में लागू कर दिया गया है
- महिलाओं को पुरुष के बराबर नौकरी में सैलरी पाने का अधिकार है और भारत के कानून के अनुसार महिला और पुरुष के लिंग के आधार पर सैलरी में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता अगर ऐसा किया जाता है तो वह महिला कानून की मदद ले सकती है
- अगर किसी महिला के साथ ऑफिस में यौन उत्पीड़न होता है या उसे परेशान किया जाता है तो इसके लिए वह सरकार की मदद ले सकती है
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दोस्तों हमने हमारे इस आर्टिकल patni ke kanuni adhikar में आपको बताया है कि महिला अधिकार क्या-क्या हैं और भारतीय संविधान में महिलाओं को कितने अधिकार दिए गए हैं अगर आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल अच्छा लगता है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको हमारे द्वारा लिखा आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद