pradhan mantri ka chunaav kaise hota hai दोस्तों क्या आप जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री का चुनाव कैसे होता है और प्रधानमंत्री को कितनी सैलरी मिलती है और प्रधानमंत्री का क्या काम होता है और प्रधानमंत्री क्या विधायक बनता है या सांसद बनता है और प्रधानमंत्री के लिए योग्यता मिनिमम कितनी होनी चाहिए और उम्र कितनी होनी चाहिए और वह किस धर्म से होना चाहिए या धर्म विशेष से नहीं होना चाहिए अगर आप इन सब के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को शुरू से लेकर लास्ट तक ध्यानपूर्वक पढ़ें क्योंकि हम हमारे इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि प्रधानमंत्री क्या होता है और प्रधानमंत्री का चुनाव कैसे होता है
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प्रधान मंत्री का चुनाव कैसे होता है
भारत की बात की जाए तो भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसका यह मतलब होता है कि जनता के द्वारा देश की सरकार चुनी जाती है और जनता जिसके पक्ष में वोट डालती है उस उसी पार्टी के किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुना जाता है जैसे कि भारत में लोकसभा में 543 सीटें हैं अगर इनमें से आधी से ज्यादा सीटें जिस पार्टी को मिलती हैं उस पार्टी में से ही एक प्रधानमंत्री चुना जाता है यानी कि अभी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं और उन्हें 300 से ज्यादा सीटें मिली थी जो कि जितनी सीटें चाहिए थी उससे ज्यादा ही थी इसीलिए 5 साल के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं भारत में प्रधानमंत्री का चुनाव हर 5 साल में होता है
प्रधानमन्त्री के लिए योग्यता
भारत के प्रधानमंत्री बनने के लिए कुछ योग्यताएं होना जरूरी है अगर किसी भी व्यक्ति के पास ये योग्यताएं हैं तो वह प्रधानमंत्री पद का दावेदार हो सकता है
- सबसे पहले बह भारत देश का नागरिक होना चाहिए
- उस व्यक्ति का नाम किसी भी राज्य की वोटर लिस्ट में होना चाहिए
- उसकी उम्र कम से कम 25 वर्ष होना चाहिए
- दोनों सदनों में से यानी कि लोकसभा और राज्यसभा किसी एक का सदस्य होना चाहिए
- अगर बा किसी भी सदन का सदस्य नहीं है तो नियुक्ति के 6 महीने के अंदर उसे किसी एक सदन का सदस्य होना अनिवार्य होता है
- उसके ऊपर किसी भी तरहा का मुकदमा दर्ज नहीं हो
प्रधानमन्त्री के कार्य व अधिकार (Prime Minister Work and Power)
- प्रधानमंत्री अपने हिसाब से देश का मंत्रिमंडल का गठन करता है और वह अपने दिमाग के अनुसार सूची बनाता है और वाह सूची देश के जो भी वर्तमान राष्ट्रपति होते हैं उनके सामने प्रस्तुत करता है
- किस सदस्य को कौन सा पद देना है मंत्रालय में यह सब का चयन प्रधानमंत्री के द्वारा ही किया जाता है
- प्रधानमंत्री ही मंत्रिमंडल का अध्यक्ष होता है और सभी फैसलों में प्रधानमंत्री का अभाव होता है
- प्रधानमंत्री की सलाह के बाद ही राष्ट्रपति मंत्रिमंडल को नियुक्त करता है तथा प्रधानमंत्री के द्वारा बर्खास्त भी किया जा सकता है
- प्रधानमंत्री ही अपने मंत्रिमंडल को अनुशासित करता है और निर्देशक भी करता है
- प्रधानमंत्री अपने त्यागपत्र के साथ राष्ट्रपति को लोकसभा भंग करने की सलाह भी दे सकता है
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति (Appointment of PM)
जैसा कि हम सब लोगों को पता है कि देश की जो भी बहुमत बाला दल होता है उसी के द्वारा प्रधानमंत्री को घोषित किया जाता है परंतु देश के राष्ट्रपति के द्वारा मंत्रिमंडल से पहले प्रधानमंत्री का गठन किया जाता है और प्रधानमंत्री की नियुक्ति हो जाने के बाद ही प्रधानमंत्री की सलाह के बाद राष्ट पति के द्वारा मंत्रिमंडल सदस्यों की नियुक्ति की जाती है
प्रधानमन्त्री का वेतन (Salary of Prime Minister)
जब प्रधानमंत्री का चुनाव हो जाता है वह प्रधानमंत्री का चयन हो जाता है तो प्रधानमंत्री को एक निश्चित वेतन मुहैया कराया जाता है और प्रधानमंत्री की बेसिक सैलरी की बात की जाए तो प्रधानमंत्री को ₹45000 निर्वाचन क्षेत्र में भत्ता और सैलरी के तौर पर ₹50000 दिए जाते हैं यानी कि सब सैलरी को मिलाकर प्रधानमंत्री को लगभग ₹160000 प्रतिमाह मिलते हैं फिर भी हम पूर्ण रूप से प्रधानमंत्री कि सैलरी की पुष्टि नहीं करते हैं
प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार
अगर प्रधानमंत्री के कार्य की बात की जाए तो प्रधानमंत्री का कार्य काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रधानमंत्री ही मंत्रिपरिषद का निर्माण करता है और प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का निर्माता होता है आप इसी बात से अनुमान लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री के मंत्रिपरिषद की नियुक्ति प्रधानमंत्री के बाद की जाती है और प्रधानमंत्री के द्वारा ही जो लिस्ट राष्ट्रपति को दी जाती है यानी कि प्रधानमंत्री ही अपना मंत्रिपरिषद तय करता है
और वाह तय करता है कि सरकार में कौन कौन कौन किस पद पर मंत्री रहेगा यह सब तय करने के बाद ही प्रधानमंत्री अपनी लिस्ट बनाकर राष्ट्रपति को देता है और राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करवाता है प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही मंत्रिपरिषद का गठन होता है और प्रधानमंत्री के द्वारा मंत्रिपरिषद कोभंग किया जा सकता है दोस्तों प्रधानमंत्री की बात की जाए तो संकट के समय प्रधानमंत्री का भार और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही राष्ट्रपति अपने सारे संकट कालीन अधिकारों का प्रयोग करता है
प्रधानमंत्री और उसके सहयोगी
प्रधानमंत्री और अन्य सहयोगी मंत्रियों के बीच चर्चा करके भी प्रधानमंत्री की स्थिति और ज्यादा स्पष्ट हो जाती है जैसा कि हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री के द्वारा ही मंत्रिपरिषद का गठन किया जाता है और प्रधानमंत्री ही मंत्रिपरिषद का जीवन दाता होता है और प्रधानमंत्री चाहे तो इसे खत्म भी कर सकता है यानी कि प्रधानमंत्री किसी मंत्री को बर्खास्त भी कर सकता है और उसे अपने मंत्रिमंडल से निकाल भी सकता है भारत एक लोकतांत्रिक देश है और प्रधानमंत्री को भारत में सबसे ज्यादा शक्तियां दी गई हैं हालांकि आपातकाल के समय में यह शक्तियां राष्ट्रपति के आधीन हो जाती हैं
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